नमस्कार
करने वाला व्यक्ति किसी व्यक्ति से कुछ भी ग्रहण कर सकता है। वह अपनी बात मनवा
सकता है।
और
क्षमादान भी प्राप्त कर सकता है।
-भार्तेंदु
हरिशचंद्र
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जो सोचता है कर पाएगा वह कर
पाता है, और जो नहीं कर पाने
की सोचता है
वह नहीं कर पाता है।
यह एक अनवरत निर्विवाद नियम है।
-पाब्लो
पिकासो
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